हिमाचल सरकार की रोजगार नीति पर सवाल: ढाई साल बाद भी युवाओं को स्थायी रोजगार की आस अधूरी

हिमाचल सरकार की बेरोजगारी नीति पर सवाल: ढाई साल बाद भी युवाओं को स्थायी रोजगार की आस अधूरी


हिमाचल सरकार की रोजगार नीति पर सवाल: ढाई साल बाद भी युवाओं को स्थायी रोजगार की आस अधूरी 

मुख्यमंत्री के दौरों और वादों के बावजूद बेरोजगारी बनी गंभीर समस्या, युवाओं में बढ़ रहा आक्रोश /निर्देशक सदस्य ठाकुर हीरापल सिंह की मीडिया से बातचीत 


शिमला/हमीरपुर/कुल्लू | विशेष संवाददाता

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने को ढाई साल बीत चुके हैं, लेकिन राज्य के बेरोजगार युवाओं को स्थायी रोजगार देने की दिशा में अब तक ठोस प्रगति नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री द्वारा हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू और शिमला में रैलियों, कार्यक्रमों और कार्यकर्ता संवाद के माध्यम से किए गए वादों के बावजूद, धरातल पर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर अभी भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

निर्देशक सदस्य ठाकुर हीरापल सिंह की मीडिया से बातचीत
नशा निवारण समिति के निर्देशक सदस्य ठाकुर हीरापल सिंह 


निर्देशक सदस्य ठाकुर हीरापल सिंह की मीडिया से बातचीत 

पूर्व प्रदेश कांग्रेस सचिव और प्रदेश नशा निवारण समिति के निर्देशक सदस्य ठाकुर हीरापल सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि युवाओं की सबसे बड़ी चिंता रोजगार को लेकर है, लेकिन सरकार की ओर से नीति निर्माण और त्वरित क्रियान्वयन में भारी कमी है।

बनमित्रों की नियुक्ति सराहनीय, लेकिन बाकी क्षेत्रों में गति धीमी

हाल ही में नियुक्त हुए बनमित्रों से मुख्यमंत्री का संवाद स्वागत योग्य है, लेकिन शिक्षा, होमगार्ड, पुलिस, स्वास्थ्य व अन्य विभागों में होने वाली नियुक्तियों की प्रक्रिया बेहद धीमी है। हिमाचल प्रदेश सर्विस सिलेक्शन बोर्ड की ओर से जारी भर्तियों में पारदर्शिता और गति की जरूरत है।

विशेष बच्चों के लिए शिक्षकों की भारी कमी

प्रदेश में मानसिक रूप से मंद बच्चों की संख्या 9,000 के पार जा चुकी है, लेकिन विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति नाममात्र ही हुई है। लगभग हर सरकारी स्कूल में ऐसे छात्र हैं जिन्हें विशेष देखरेख और शिक्षा की आवश्यकता है। इसके लिए सुख आश्रय योजना के तहत शिक्षित बेरोजगारों को अवसर देने की जरूरत है।

आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण, स्थायी नियुक्ति की मांग

वर्तमान में सरकार आउटसोर्सिंग के माध्यम से कई विभागों में नियुक्तियाँ कर रही है, लेकिन इससे युवा कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। कंपनियाँ लाभ कमा रही हैं, जबकि कर्मचारी अल्प वेतन और असुरक्षित भविष्य के बीच झूल रहे हैं। ठाकुर हीरापल सिंह ने सरकार से सीधी भर्ती नीति लागू करने की मांग की है।

खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा दे नशे से लड़ाई

बेरोजगारी से हताश युवा नशे की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे बचाने के लिए हर पंचायत में जिम और खेल सामग्री की किट युवक मंडलों को पूर्व की भांति निःशुल्क दी जानी चाहिए। फिजिकल एजुकेशन को बढ़ावा देकर युवाओं का ध्यान खेल और स्वास्थ्य की ओर मोड़ा जा सकता है।

पुलिस कार्रवाई से आगे बढ़कर सामाजिक समाधान की जरूरत

ठाकुर हीरापल सिंह ने कहा कि युवाओं को सिर्फ नशे में पकड़कर जेल में डालना समाधान नहीं है। पुलिस को मेडल कमाने की होड़ से बाहर निकलकर, युवाओं के पुनर्वास और काउंसलिंग की ओर ध्यान देना होगा। सरकार को गैर-सरकारी संगठनों, बुद्धिजीवियों और स्थानीय नेतृत्व को इस लड़ाई में साथ लाना चाहिए।

क्या कहती है जनता?

स्थानीय युवाओं का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस सरकार को रोजगार के वादों पर विश्वास कर चुना था, लेकिन अब तक अधिकांश वादे अधूरे हैं। सरकार के पास अब केवल ढाई साल शेष हैं, और यदि शीघ्र रोजगार नीति पर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह मुद्दा आगामी चुनाव में सरकार के लिए भारी पड़ सकता है। Read More:   

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