Mandi News: सुंदरनगर में 35 करोड़ की वाटर ट्रीटमेंट योजना फेल: कीचड़ में बहा जनता का टैक्स मनी?
HimachalToday.in
सुंदरनगर (हिमाचल टुडे ब्यूरो):
सुंदरनगर में जलशक्ति विभाग द्वारा 35 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह फेल हो गया है। करोड़ों की मशीनरी और उपकरण बीएसएल जलाशय से बहकर आए कीचड़ के आगे दम तोड़ बैठे। पानी का PPM स्तर 3000 तक पहुंच गया और घटिया फिल्ट्रेशन सिस्टम इतनी मात्रा में गंदगी को छानने में पूरी तरह नाकाम रहा।
सुंदरनगर (हिमाचल टुडे ब्यूरो):
सुंदरनगर में जलशक्ति विभाग द्वारा 35 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह फेल हो गया है। करोड़ों की मशीनरी और उपकरण बीएसएल जलाशय से बहकर आए कीचड़ के आगे दम तोड़ बैठे। पानी का PPM स्तर 3000 तक पहुंच गया और घटिया फिल्ट्रेशन सिस्टम इतनी मात्रा में गंदगी को छानने में पूरी तरह नाकाम रहा।
क्या जनता की मेहनत की कमाई का ये पैसा सिर्फ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए
अब सवाल उठ रहा है—क्या जनता की मेहनत की कमाई का ये पैसा सिर्फ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए था? स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह योजना पहले ही तकनीकी रूप से असफल थी, लेकिन फिर भी इसे जबरन लागू किया गया। विभाग के इंजीनियरों ने इसे "सिंचाई योजना" के नाम पर शुरू किया और बाद में "पेयजल आपूर्ति" की आड़ में इसे पुनः जनता पर थोप दिया।फेल हो चुकी योजना को दोबारा रिब्रांड करके जनता के टैक्स मनी को लूटा
जानकारों का मानना है कि पहले से फेल हो चुकी योजना को दोबारा रिब्रांड करके जनता के टैक्स मनी को लूटा गया है। इससे एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि सरकारी योजनाओं की जांच और गुणवत्ता परख कौन करता है?
स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है और वे इस मामले की सीबीआई जांच या राज्य स्तरीय तकनीकी ऑडिट की मांग कर रहे हैं।
पानी का PPM लेवल 3000 तक पहुंचना क्या पहले से अनुमानित नहीं था?
पहले से फेल हुई योजना को दोबारा पेयजल योजना में क्यों बदला गया?
ठेकेदार को लाभ पहुंचाने में किस अधिकारी की भूमिका रही?
स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है और वे इस मामले की सीबीआई जांच या राज्य स्तरीय तकनीकी ऑडिट की मांग कर रहे हैं।
प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:
35 करोड़ की लागत पर बने प्लांट की गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं की गई?पानी का PPM लेवल 3000 तक पहुंचना क्या पहले से अनुमानित नहीं था?
पहले से फेल हुई योजना को दोबारा पेयजल योजना में क्यों बदला गया?
ठेकेदार को लाभ पहुंचाने में किस अधिकारी की भूमिका रही?
शहर में उत्पन्न पेयजल संकट को लेकर विवाद
सुंदरनगर शहर में उत्पन्न पेयजल संकट को लेकर विवाद खडा हो गया है। करोडों की लागत से बनी योजना में पानी के साथ कीचड घुस गया है। जिसके चलते शहर का कई दिन से पेयजल आपूर्ति बाधित हो गई है और लोग करोडों के खर्च के बावजूद पीने के पानी के लिए परेशान है। हालांकि यह समस्य बीबीएमबी की नहर में कीचड आने के कारण हुई है। लेकिन जलशक्ति विभाग की कार्रगुजारी पर सवाल उठाए गए है कि इंजीनियरों द्वारा यह योजना बनाने के समय इस पहलु पर क्यों फोकस नहीं था।विभाग द्वारा ठेकेदार को अनुचित तरीके से पूर्व सरकार द्वारा यह योजना बनाई गई
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग द्वारा ठेकेदार को अनुचित तरीके से पूर्व सरकार द्वारा यह योजना बनाई गई है और अब पाप छुपाने के चक्कत पर पूर्व सीपीएस से निरीक्षण करवा कर लीपापोती की जा रही है।
जल शक्ति विभाग ने सोहन लाल ठाकुर को बताया कि कुल्लू क्षेत्र में दो दिन पहले बादल फटने से बीएसएल जलाशय में भारी मात्रा में कीचड़ आया, जो प्लांट में आने से पीपीएम स्तर 3000 तक पहुंच गया। जिसे फिल्टर करने में मशीने फेल हो गई।
जल शक्ति विभाग ने सोहन लाल ठाकुर को बताया कि कुल्लू क्षेत्र में दो दिन पहले बादल फटने से बीएसएल जलाशय में भारी मात्रा में कीचड़ आया, जो प्लांट में आने से पीपीएम स्तर 3000 तक पहुंच गया। जिसे फिल्टर करने में मशीने फेल हो गई।
पूर्व सीपीएस सोहन लाल ठाकुर ने जल शक्ति विभाग के अधिकारियों के अधिकारियों को स्वच्छ व नियमित जलापूर्ति करने के निर्देश दिए है। इस मौके पर अधिशाषी अभियंता ई. रजत कुमार गर्ग, ई. दिनेश राणा सहित अन्य मौजूद रहे। Read More:
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