No Salary to GRS: हिमाचल में ग्राम रोजगार सेवकों को नियमित वेतन नहीं, सुक्ख सरकार पर उठे सवाल

No Salary to GRS: हिमाचल में ग्राम रोजगार सेवकों को नियमित वेतन नहीं, सुक्ख सरकार पर उठे सवाल

No Salary to GRS: हिमाचल में ग्राम रोजगार सेवकों को नियमित वेतन नहीं, सुक्ख सरकार पर उठे सवाल

  • हिमाचल में ग्राम रोजगार सेवकों को नियमित वेतन नहीं, सुक्ख सरकार पर उठे सवाल
  • सरकार के पास फंड होने के बावजूद उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा
  • पंचायती राज से संबधित कार्य को पूरा करने के लिए दिन रात देते है अपना सहयोग 
  • मनरेगा के नाम पर वाहवाही लुट रही हिमाचल प्रदेश सरकार 
  • सरकार 'रिवॉल्विंग फंड' की स्थापना की संभावनाओं का भी करेगी अध्ययन 
  • मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से हिमाचल प्रदेश ग्राम रोजगार सेवक संघ ने की भेंट 


हिमाचल प्रदेश, 16 मई 2025 (HimachalToday.in):

राज्य के ग्राम रोजगार सेवक (GRS) को लंबे समय से नियमित वेतन नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते प्रदेशभर में असंतोष की स्थिति बनी हुई है। हिमाचल प्रदेश ग्राम रोजगार सेवक संघ (जी.आर.एस.एस.) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से भेंट कर अपनी मांगों को उनके समक्ष रखा।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के लिए आवंटित बजट में भारी कटौती की गई है, जिससे ग्राम रोजगार सेवकों का नियमित वेतन भुगतान प्रभावित हो रहा है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाए और शीघ्र समाधान निकाले।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस समस्या पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार 'रिवॉल्विंग फंड' की स्थापना की संभावनाओं का भी अध्ययन करेगी ताकि भविष्य में इस तरह की समस्या उत्पन्न न हो।

ग्राम रोजगार सेवकों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के पास फंड होने के बावजूद उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा, जो प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

मनरेगा के नाम पर वाहवाही लुट रही हिमाचल प्रदेश सरकार 

पंचायती राज विभाग में सेवारत ग्राम रोजगार सेवकों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। एक तरफ हिमाचल प्रदेश सरकार मनरेगा के नाम पर वाहवाही लुट रही है। वहीं दूसरी और जो मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण कार्य को मुक्कमल कर रहे। इस कॉडर की भी अनदेखी की जा रही है।

सिस्टम सही कार्य करने में तत्परता नहीं बरत रहा है

ग्राम रोजगार सेवक संघ के प्रदेशाध्यक्ष मुनीष कुमार व प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश शर्मा, बीरबल ने कहा कि ग्राम रोजगार सेवक को वेतन का भुगतान करने में लापरवाही बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि इस कॉडर का पैसा सरकार के पास है, लेकिन भुगतान करने के सिस्टम सही कार्य करने में तत्परता नहीं बरत रहा है। 

पंचायती राज से संबधित कार्य को पूरा करने के लिए दिन रात देते है अपना सहयोग 

मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण कार्य को कर रहे जैसे लोगों के जॉब कार्ड लोगों को रोज़गार देने हेतु कार्य मांग एकत्रित करना से लेकर मनरेगा में मजदूरी व सामग्री के भुगतान तक और कार्यों को स्वीकृत करने से लेकर काम ख़तम हो जाने के वाद और ऑडिट और आर डी बनाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य, ग्राम सभाओं की ड्यूटी सहित विकास खंड अधिकारी द्वारा सौंपे गए अन्य पंचायती राज से संबधित कार्य को पूरा करने के लिए दिन रात अपना सहयोग देते है

मनरेगा के सम्पूर्ण कार्यों को कार्यान्वित करते है इसके लिए मुख्यमंत्री जी, राज्यपाल व पंचायती राज मंत्री जी मनरेगा से सम्बंधित प्रसंसा कर चुके  है| जिसमे प्रति वर्ष मनरेगा में कार्य करने वाले लाखों परिवारों को करोड़ों रुपये के कार्य दिया जाता है| जिससे उन परिवारों की रोजी-रोटी  चलती है |

सरकार के पास पैसा होने के बावजूद नहीं हो रहा भुगतान

वेतन न मिलने के कारण उनको परिवार चलाना मुश्किल हो गया है और ग्राम रोजगार सेवकों के साथ ही उनके बच्चों के भविष्य भी खतरे में दिखाई दे रहा है। यह स्थिति हर माह बनी रहती है कि इस माह सैलरी का भुगतान हो गया है अगले माह की सैलरी मिलेगी या नहीं। उन्हें लगता है कि उनका भविष्य सुरक्षित करने के लिए लगता है कि सरकार के पास न ही समय ही और न ही वेतन के भुगतान को लेकर गंभीर है।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के ग्राम रोजगार सहायक की संख्या 10081 से घट कर 10031 रह गई है। ग्राम रोजगार सहायक के पद पर सरकार ने 2020 के बाद कोई नियुक्तियां नहीं की है।  

सिंगल हैण्ड किया जाये  मनरेगा 

प्रदेशाध्यक्ष मुनीस कुमार सहित पूर्व प्रदेशाध्यक्ष भीम देव ने सरकार से आग्रह किया है कि मनरेगा को सिंगल हैण्ड किया जाये, क्योकि ग्राम रोजगार सेवक पहले ही मनरेगा से सम्बंधित कार्य कर रहे है। ग्राम रोजगार सेवकों को समय पर वेतन मिले। इसके लिए सरकार द्वारा उचित व्यवस्था करें। नहीं तो आने वाले विधानसभा सेशन के दौरान उग्र प्रदर्शन करेंगे।  

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