“2023 की तबाही का हिसाब बाकी, अब 2025 की बरसात से नुकसान की जांच पर फिर मंडी में आई टीम ?“
HimachalTodai.in
मंडी, 19 जुलाई।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 2023 की बारिश और भूस्खलन से हुई तबाही का केंद्र सरकार द्वारा अब तक नुकसान की भरपाई पूरी नहीं हो पाई है, और 2025 की बरसात में फिर से सिर पर आफत गिर पड़ी है। इसी सिलसिले में अंतर-मंत्रालयीय केंद्रीय दल मंडी पहुंचा, ताकि 30 जून की आधी रात के बाद हो रहे प्राकृतिक आपदा के नुकसान का मूल्यांकन किया जा सके।
33 केवी पावर प्लांट सहित कई स्थानों का दौरा किया
सात सदस्यीय केंद्रीय दल ने धर्मपुर क्षेत्र में स्याठी गांव, धर्मपुर कॉलेज के पास क्षतिग्रस्त सड़क, काण्डापतन में बर्बाद पेयजल योजना, और 33 केवी पावर प्लांट सहित कई स्थानों का दौरा किया।
सात सदस्यीय केंद्रीय दल ने प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का जायजा लिया
सात सदस्यीय केंद्रीय दल ने धर्मपुर क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का जायजा लिया। इस केंद्रीय दल में गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (सीएस एवं पब्लिक, न्यायिक) जी. पार्थसारथी, वित्त मंत्रालय के अधीन व्यय विभाग के उप सचिव (एफसीडी) कंदर्प वी. पटेल, जल शक्ति मंत्रालय के तहत सीडब्लूसी शिमला के निदेशक वसीम अशरफ, ऊर्जा मंत्रालय के तहत सीईए के उप निदेशक करन सरीन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय शिमला के मुख्य अभियंता ए.के. कुशवाहा, ग्रामीण विकास मंत्रालय से अवर सचिव दीप शेखर सिंघल तथा कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के तहत गेहूं विकास निदेशालय में संयुक्त निदेशक डॉ. विक्रांत सिंह शामिल हैं।
20 जुलाई को थुनाग, जंजैहली व करसोग में करेंगे आकलन
यह केंद्रीय दल 20 जुलाई को थुनाग, जंजैहली व करसोग इत्यादि आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर वहां हुए नुकसान का आकलन करेगा।
विवाद का मुद्दाः मुआवज़ा कब मिलेगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार सिर्फ दौरे और सर्वेक्षणों में व्यस्त है, लेकिन जमीनी राहत नदारद है।
2023 में तबाही के एक साल बाद भी कई परिवार अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं, कृषि भूमि बह चुकी है, और पीने के पानी की स्कीमें अब भी बंद पड़ी हैं।
विधायक और प्रशासन ने की समीक्षा - लेकिन समाधान?
ध्वाली किसान भवन में विधायक चंद्रशेखर ने केंद्रीय दल से प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति और पीड़ितों की समस्याओं पर बात की। वहीं उपायुक्त अपूर्व देवगन ने दल को राहत व पुनर्वास के कार्यों की जानकारी दी।
स्थानीयों में नाराज़गीः ’ जांच नहीं, इंसाफ चाहिए!’
ग्रामीणों का कहना है कि टीमों का आना-जाना तो हो रहा है लेकिन सभी रिपोर्टें केवल कागज़ों तक सीमित हैं, न कोई मुआवज़ा, न पुनर्वास, न ही स्थायी समाधान।
“जब 2023 की भरपाई ही नहीं हुई, 10 हजार करोड के आकलन पर केंद्र दी 2000 हजार करोड, शर्ते भी थोपी। जबकि हिमाचल सरकार अपने संसाधन से 2023 के नुकसान पर 4500 करोड पहले खर्च कर चुकी है। तो 2025 की बारिश में फिर से हुए नकसान में कितना और कब मदद देगा। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ. मदन कुमार, एसडीएम धर्मपुर जोगिंद्र पटियाल, एसडीएम सरकाघाट स्वाति डोगरा सहित संबंधित विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे। Read More:
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