2023 की आपदा रिलीफ के 10 हजार करोड के बदले केंद्र ने दिए 1500 करोड : नरेंद्र मोदी आपदा पर भी मौन

 

2023 की आपदा के रिलीफ के 10 हजार करोड बदले कें्रद ने दिए 1500 करोड : नरेंद्र मोदी आपदा पर भी मौन

2023 की आपदा रिलीफ के 10 हजार करोड के बदले केंद्र ने दिए 1500 करोड : नरेंद्र मोदी आपदा पर भी मौन

2023 और 2025 की आपदाओं में झुलसते हिमाचल को केंद्र से राहत की जगह निराशा

HimachalToday.in

हिमाचल/मंडी, 13 जुलाई।
हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्राकृतिक आपदा के प्रचंड रूप से त्रस्त है — लोग बेघर हैं, गाँव उजड़ चुके हैं, सड़कें गायब हैं, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं चरमरा गई हैं। परंतु केंद्र की मोदी सरकार और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी हिमाचल के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी साबित हो रही है।

2023 में हुई आपदा के जख्म अभी सूखे भी नहीं थे कि 2025 में फिर से मंडी, कुल्लू, चंबा और किन्नौर जैसे क्षेत्रों में भारी बारिश और भूस्खलन ने कहर बरपाया। दो बार राज्य आपदा में डूबा, लेकिन प्रधानमंत्री का न तो दौरा हुआ, न ही कोई विशेष राहत पैकेज घोषित हुआ। केवल आश्वासनों और बयानबाज़ी से काम चलाया जा रहा है।

नरेंद्र मोदी का "हिमाचल प्रेम" अब सवालों के घेरे में

प्रधानमंत्री मोदी कई बार हिमाचल के प्रति "भावनात्मक लगाव" जताते रहे हैं। वे मंडी के पड्डल मैदान में रैलियाँ कर चुके हैं, शिमला को अपने भाषणों में "दूसरा घर" बता चुके हैं। लेकिन जब हिमाचल रो रहा है, तब वही प्रधानमंत्री चुप हैं।

क्या यह लगाव केवल चुनावों तक सीमित था?

राज्य के लोग अब यह सवाल करने लगे हैं कि मोदी जी का हिमाचल प्रेम क्या केवल भाषणों और तस्वीरों तक सीमित था? जब मदद की सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, तब प्रधानमंत्री की नज़र शायद दिल्ली से बाहर नहीं गई।

सरकार बोली- बिना भेदभाव सहयोग चाहिए, मगर दिल्ली मौन

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री दोनों केंद्र से बार-बार विशेष राहत पैकेज की मांग कर चुके हैं। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर भी यही मांग कर चुके हैं, लेकिन केंद्र से अब तक कोई ठोस उत्तर नहीं मिला है।

राजनीतिक विश्लेषक भी हुए चिंतित

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार का यह रवैया न केवल संघीय ढांचे की भावना को ठेस पहुंचाता है, बल्कि पहाड़ी राज्यों को भी दोयम दर्जे का नागरिक मानने जैसी सोच को दर्शाता है। 

सुखविंद्रर सिंह सुक्खू सरकार की त्वरित कार्रवाई से पीडितों को मिली राहत 

मोदी ने 2025 की आपदा में अभी तक दर्द तक साझा करने के प्रयास नहीं किए है। वहीं प्रदेश की कमान सम्भाल रहे मुख्यमंत्री सुखविंद्रर सिंह सुक्खू और मंत्रिमंडल ने आपदा पीडितों के दर्द में मलहम का कार्य किया है। प्राकृतिक आपदा कभी भी किसी को भी झेलनी पड सकती है। यह कुदरत का खेल है। लेकिन चुनी हुई सरकार के अलावा मानवीय संवेदनाएं और भावनाएं जीवन में अहम महत्व रखती है। कोई ऐसा कैसे हो सकता है कि मंडियाली भाषा बोल कर सेपु बडी का स्वाद लेकर अपनापन दिखा कर वोट लेने में सफल रहते है और जब मुश्किल की घढी आई तो पीठ दिखा रहे है। 

2023 की आपदा में हिमाचल सरकार के 10 हजार करोड का रिलीफ देने में आनाकानी 

केंंद्र से अपने स्तर अनुमोदन कर 10 हजार करोड का रिलीफ पैकेज तय किया था। दो साल के बाद केंद्र सरकार 10 हजार कें रिलीफ में 15 प्रतिशत दिया, जो 1500 करोड की राशि बनती है। इसमें भी हिमाचल को 25 प्रतिशत हिस्सा डालना है। इसके भुगतान में भी कडी शर्तें लगाई गई है। 2023 की आपदा में हिमाचल सरकार ने अपने रिसोर्स से आपदा के दौर में 4500 करोड का रिलीफ पैकेज जारी किया है, केंद्र सरकार दो साल के बाद मात्र 1500 करोड जारी कर रही है। 

आपदा के दौर में राहत और पुर्नवास के लिए रिलीफ पैकेज देना होता है।

केंद्र सरकार ने दो साल के बाद 1500 करोड दिया है। केंद्र सरकार के इस बरताव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कलाउड ब्रस्ट जहां होता है, वहां हुए नुकसान का असर बहुत बडे इलाके पर पडता है। पीने के पानी और बिजली सहित सडकों का बजूद समाप्त हो जाता है। परिवारों की सिर से छत ही नहीं सबकुछ छिन्न जाता है। भूख, बीमारी और खाने पीने, पहनने  व रहने का सहारा मिलना मुश्किल से होता है। 

केंद्र के रवैये से राजनीतिक दलों के साथ प्रदेश वासी भी दुखी

केंद्र सरकार के हिमाचल प्रदेश के साथ किए जा रहे रवैये पर राजनीतिक दलों के साथ प्रदेश वासी और प्रदेश भाजपा के लोग भी दुखी है। केंद्र से 2025 में आई इस आपदा में केंद्र से क्या ही आस लगा सकते है। हालांकि अभी तो दौर अभी बाकि है और नुकसान का भी आकंलन नहीं किया जा रहा है। यह समस्या हर हिमाचली की है हो सकता है कई पहाडी अंध भक्त इसमें भी मजा ले रहे होंगे।
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"मोदी जी का मंडी से अपनापन फर्जी निकला, राजधर्म निभाने में असफल रहे" : पवन ठाकुर

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष पवन ठाकुर ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वर्ष 2023 की भीषण आपदा में केंद्र सरकार ने राहत देने में किसी प्रकार की संवेदनशीलता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि 2023 की आपदा में 10 हजार करोड़ से अधिक नुकसान में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने 4500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज अपने सीमित संसाधनों से दिया, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। पवन ठाकुर ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंडी और हिमाचल से अपना पुराना रिश्ता बताते हैं, लेकिन जब मंडी डूबा तो उनके शब्द खोखले साबित हुए। न कोई दौरा, न राहत का ऐलान, न मदद का आश्वासन। ये रवैया राजधर्म के खिलाफ है और इनसानी नजरिए से बेहद चिंता जनक भी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने दिन-रात मेहनत कर आपदा राहत कार्यों को युद्धस्तर पर आगे बढ़ाया, सड़कें बहाल की गईं, पेयजल और बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, लोगों को पुनर्वास राहत दी गई। मगर केंद्र सरकार ने इसे राजनीतिक चश्मे से देखा, जिससे हिमाचल के साथ भेदभाव साफ दिखाई देता है।

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केंद्र से नहीं मिला इंसाफ, हिमाचल की आपदा का बोझ खुद उठा रही प्रदेश सरकार: हीरापाल सिंह

राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के राज्य सह-संयोजक हीरापाल सिंह ने कहा है कि 2023 में हिमाचल प्रदेश में आई भीषण आपदा के बाद भी केंद्र सरकार का रवैया निराशाजनक और भेदभावपूर्ण बना हुआ है। उन्होंने कहा कि 2023 की आपदा में 10 हजार करोड़ से अधिक नुकसान में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच और अथक प्रयासों के चलते प्रदेश सरकार ने 4500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज अपने संसाधनों से दिया, जबकि मोदी सरकार ने अब तक सहयोग का कोई ठोस कदम नहीं उठाया। प्रदेश की जनता को उम्मीद थी कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, जो स्वयं हिमाचल से हैं, और मंडी की सांसद कंगना रनौत, केंद्र में हिमाचल की आवाज़ बनेंगी। लेकिन 2023 की आपदा में ये दोनों ही केंद्र से कोई विशेष राहत पैकेज दिलवाने में पूरी तरह विफल रहे। हीरापाल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं, लेकिन जब यह घर संकट में था, तो दिल्ली के दरवाजे बंद हो गए।

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