KVK Sundernagar: किसानों के लिए कृषि एवं पशुपालन संबंधी सुझाव

KVK Sundernagar: किसानों के लिए कृषि एवं पशुपालन संबंधी सुझाव

KVK Sundernagar: किसानों के लिए कृषि एवं पशुपालन संबंधी सुझाव

कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर ने किसानों के लिए गेहूं, जौ, चना, सरसों, सब्जी और पशुपालन से जुड़ी वैज्ञानिक सलाहें जारी कीं। जानें कौन-सी फसलें और किस्में इस मौसम के लिए उपयुक्त हैं।

किसान भाई अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए केंद्रों से संपर्क कर सकते हैं

*कृषि तकनीकी सूचना केन्द्र (ATIC):  ☎️ 01894-230395
*किसान कॉल सेंटर:  ☎️ 1800-180-1551
*कृषि विज्ञान केन्द्र, सुंदरनगर — व्यक्तिगत परामर्श के लिए संपर्क करें।

HimachalTodayTv  

सुंदरनगर-ब्यूरो रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने सुंदरनगर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी पंकज सूद ने प्रदेश के किसानों के लिए मौसमी खेती और पशुपालन से जुड़ी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सलाहें जारी की हैं। विश्वविद्यालय ने किसानों से अपील की है कि वे मौसम और मिट्टी की स्थिति के अनुसार उपयुक्त फसलों और किस्मों का चयन करें, ताकि उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हो सके।

 KVK Sundernagar: गेहूं और जौ की खेती

निचले और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के किसान अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के मध्य तक गेहूं की बिजाई करें।

 उपयुक्त किस्में — एच.एस.-542, एच.एस.-562, एच.पी.डब्ल्यू-368, वी.एल.-829।

 जौ के लिए अनुशंसित किस्में — हिम पालम जौ-1, हिम पालम जौ-2, एच.बी.एल.-113।

 बीज उपचार — प्रति किलोग्राम बीज में 2.5 ग्राम बैविस्टिन या वीटावैक्स अथवा 1.0 ग्राम रैक्सिल मिलाएं ताकि फफूंद से सुरक्षा हो सके।

दलहनी फसलें (चना और मसूर)

* चने की बिजाई के लिए यह समय उपयुक्त है।

* अनुशंसित किस्में — *हिमाचल चना-1, हिमाचल चना-2, जी.पी.एफ-2, एच.पी.जी.-17*।

* बिजाई गहराई — लगभग **10 सेंटीमीटर**।

* बीज मात्रा —

  * छोटे दाने वाली किस्में: 3.2 से 3.6 किलो प्रति बीघा।

  * बड़े दाने वाली किस्में: 6.4 किलो प्रति बीघा।

* मसूर की किस्में — *विपाशा और मारकण्डे*।

* बीज मात्रा 2.0 से 2.8 किलो प्रति बीघा रखें।

* देर से बिजाई करने पर बीज की मात्रा 20–25% बढ़ाएं।

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 तिलहनी फसलें (सरसों, राया, अलसी)

* राया की किस्में — *आर.सी.सी.-4, करण राई*।

* गोभी सरसों की किस्में — *नीलम, शीतल, ओ.एन.के.-1*।

* भूरी सरसों की किस्में — *के.बी.एस.-3, एच.पी.बी.एस.-1*।

* अलसी की किस्में — *हिम पालम अलसी-1, हिम पालम अलसी-2*।

* बीज मात्रा —

  * अलसी: 3.2 किलो प्रति बीघा।

  * राया/सरसों: 480 ग्राम प्रति बीघा।

* गोभी सरसों को 45 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में लगाएं।

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KVK Sundernagar: सब्जी उत्पादन

* निचले पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की अगेती किस्में लगाएं — *पालम त्रिलोकी, अरकल, वी.एल.-7, मटर अगेता*।

* खेत में जैविक खाद के साथ अनुशंसित मात्रा में रासायनिक खाद का प्रयोग करें।

* इसी समय लहसुन की किस्में — *जी.एच.सी.-1, एग्री-फाउंड पार्वती, सोलन सिलेक्शन* लगाई जा सकती हैं।

* अन्य फसलें — पालक, मेथी, धनिया, मूली, गाजर, शलजम, फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली।

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मध्यवर्ती क्षेत्रों के लिए सुझाव

* तैयार पौधों की रोपाई करें — *फूलगोभी, बंदगोभी, गांठगोभी, चाईनीज बंदगोभी, ब्रोकली*।

* प्रति बीघा खेत में डालें —

 * गोबर खाद: 20 क्विंटल,

  * इफको (12:32:16): 18 किग्रा,

  * म्यूरेट ऑफ पोटाश: 4.3 किग्रा,

  * यूरिया: 8 किग्रा।

* मूली की किस्में — पूसा हिमानी, मीनो अर्ली, आल सीजन।

* शलजम — पी.टी.डब्ल्यू.जी.,

* पालक — पूसा हरित, पूसा भारती, आलग्रीन,

* मेथी — पालम सौम्य, पूसा कसूरी, आई.सी.-74।

* प्याज की नर्सरी तैयार करने का यह उपयुक्त समय है।

* कटुआ कीट वाले खेतों में पौधरोपण के बाद 2.5 मि.ली. क्लोरपाइरिफॉस 20 ईसी प्रति लीटर पानी से ड्रेन्चिंग करें।

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 पशुधन प्रबंधन

* गौशालाओं की नियमित सफाई करें।

* पशुओं को खुरपका-मुंहपका, गलघोंटू, लम्पी स्किन जैसी बीमारियों से बचाने के लिए सतर्क रहें।

* बीमार पशु दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें।

* नवजात बछड़ों को जन्म के 1–2 घंटे के भीतर खीस (कोलोस्ट्रम) अवश्य पिलाएं।

* संतुलित आहार व खनिज लवण दें।

* हरी घास सुखाकर भंडारण करें।

* मछली पालक सुबह के समय तालाबों में ताजा पानी मिलाएं।

* मुर्गीपालक किसान बिछावन सूखा रखें और पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें।

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