Mandi News: अवैध कब्जों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय: चमन राही
HimachalTodayTv
मंडी।
अखिल भारतीय दलित, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग परिषद के महासचिव एवं राज्य प्रवक्ता चमन राही ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को ऐतिहासिक और जनहित में बताया है। उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा अवैध कब्जों को लेकर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश से प्रदेश के लाखों लोगों को राहत मिली है। परिषद के अन्य पदाधिकारियों — सन्नी ईपन (प्रदेश संयोजक), यशवंत गुलेरिया (पूर्व सचिव, सेवादल), कर्म सिंह सैनी (पिछड़ा वर्ग सह संयोजक), गोबिंद वर्धन (रविदास सभा के प्रदेश प्रचार सचिव) और चंद्रवीर कागरा (वाल्मीकि समाज सुधार समिति संस्थापक) — ने भी इस फैसले का स्वागत किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कब्जाधारियों को प्रदान की राहत
चमन राही ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के निर्णय को पलटते हुए कब्जाधारियों को राहत प्रदान की है। मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिया गया यह आदेश पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है। इससे हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में लगभग ढाई लाख लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
70 से 80 वर्षों से उन्हीं जमीनों पर रह रहे हैं अधिकतर लोग
उन्होंने कहा कि हिमाचल के महाधिवक्ता अनूप कुमार रत्न ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी करते हुए दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के जरूरतमंद लोगों की वास्तविक स्थिति को अदालत के सामने रखा। उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग 70 से 80 वर्षों से उन्हीं जमीनों पर रह रहे हैं, जहां उनके बिजली मीटर, राशन कार्ड और आवास बने हुए हैं।
चमन राही ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अदालत में वन टाइम सेटलमेंट की नीति की वकालत की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
बता दे हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश भू राजस्व अधिनियम की धारा 163A को मनमाना और असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था ।
इसलिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया गया था कि सरकारी जमीन पर जो अतिक्रमणकारियों ने अवैध कब्जे किए हैं उन्हें 28/02/2026 से पहले हटाया जाए। याचिकाकर्ता (धर्मशाला निवासी) की ओर से अधिवक्ता डॉ विनोद शर्मा व गौरव कुमार और प्रतिवादी की और से अधिवक्ता जॉर्ज थॉमस कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हुए।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2000 में धूमल सरकार के समय भू-राजस्व अधिनियम की धारा 163(ए) के तहत लोगों से उनके कब्जों की जानकारी लेकर उनसे नियमितीकरण शुल्क भी वसूला गया था, लेकिन उसके बाद कई लोगों को गुमराह किया गया और भ्रष्टाचार की घटनाएं हुईं।
उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने गरीबों व कमजोर तबके के साथ अन्याय किया और कई घरों को गिराने की कार्रवाई की। इस दौरान परिषद के सदस्यों ने लोगों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किए और उनके घर बचाए।
तोड़े जा चुके हैं कई लोगों के घर
चमन राही ने कहा कि बल्ह उपमंडल के भडयाल मुहाल में कर्म सिंह सैनी, अश्वनी, राकेश वालिया, डिंपल वालिया, प्रकाश चंद, दुर्गा जंवाल सहित कई लोगों के घर तोड़े जा चुके हैं। ऐसे हजारों परिवारों को बेघर करने की कार्रवाई चल रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप ने इन लोगों के लिए "संजीवनी बूटी" का काम किया है।
कब्जाधारियों की आयोजित करेगी आपातकालीन बैठक
उन्होंने कहा कि इस संबंध में परिषद 29 अक्तूबर को मंडी में जिला भर के कब्जाधारियों की आपातकालीन बैठक आयोजित करेगी। इसमें सभी प्रभावित लोगों से जानकारी लेकर वन टाइम सेटलमेंट के लिए सूची तैयार की जाएगी, जिसे सरकार को सौंपा जाएगा।
इस मौके पर परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल हिमाचल बल्कि देशभर के गरीब व वंचित वर्गों के लिए राहत भरा संदेश है।
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