राजपूत महासभा ने उठाई अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण की मांग, बाल्मीकि समाज को मिला खुला समर्थन — सरकार पर निष्क्रियता का आरोप
HimachalToday.in
सुंदरनगर/मंडी (ब्यूरो)।
हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जातियों को
दिए जा रहे आरक्षण को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राजपूत महासभा ने
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण की मांग का समर्थन करते हुए सरकार की चुप्पी
और निष्क्रियता पर तीखा हमला बोला है। महासभा का कहना है कि राज्य सरकार सुप्रीम
कोर्ट द्वारा 1 अगस्त
2024 को जारी किए गए
निर्देशों को अमल में लाने में पूरी तरह विफल रही है।
आरक्षण का लाभ वास्तव में वंचित और पिछड़े वर्गों तक नहीं पहुंच रहा
राजपूत
महासभा के अध्यक्ष इंजीनियर के.एस. जम्वाल, उपाध्यक्ष प्रो. अशोक सरयाल, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) धर्मवीर राणा
और महासचिव विजय चंदेल ने संयुक्त बयान जारी कर यह स्पष्ट किया कि यदि आरक्षण का
लाभ वास्तव में वंचित और पिछड़े वर्गों तक नहीं पहुंच रहा है, तो आरक्षण प्रणाली पर ही सवाल उठते हैं।
आरक्षण वर्गीकरण की मांग केवल बाल्मीकि समाज की नहीं: एक अहम पहल
उन्होंने
कहा कि आरक्षण वर्गीकरण की मांग केवल बाल्मीकि
समाज की नहीं, बल्कि
पूरे सामाजिक न्याय तंत्र को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की एक अहम पहल है।
कांगड़ा में हुई बाल्मीकि सभा की बैठक में इस मुद्दे को लेकर गहरा रोष प्रकट किया
गया, और राज्यपाल को
ज्ञापन भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
क्रीमी लेयर को हटाकर आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू
राजपूत महासभा ने खुलकर कहा कि क्रीमी लेयर को हटाकर आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए, ताकि वो परिवार जो दशकों से शिक्षा और रोजगार से वंचित हैं, उन्हें भी बराबरी का अवसर मिल सके।
जतिगत समानता का होगा रास्ता साफ
राजपूत महासभा के अध्यक्ष ईं. के.एस. जम्वाल ने कहाकि आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने से ईडब्लयूएस जैसे प्रावधान से भी मुक्ति मिलेगी और जातिगत समानता का रास्ता साफ होगा। उन्होंने कहा कि आमजन की मांगों और संगठनों के सुझावों पर सरकार जल्द कार्रवाई अमल में लाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार वर्गीकरण के आधार पर आरक्षण लागू किया जाए।
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