थुनाग कॉलेज शिफ्टिंग बना सियासी मुद्दा: मंत्री की गाड़ी के आगे घेराव, लेटी महिलाएं
HimachalTodayTv
मंडी, हिमाचल
प्रदेश | ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश के सराज क्षेत्र के थुनाग
में राजकीय औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय को नाचन के गड़ाहरी शिफ्ट करने को
लेकर ज़ोरदार विवाद खड़ा हो गया है। घटना ने तब और तूल पकड़ लिया जब ग्रामीणों, महिलाओं और भाजपा
कार्यकर्ताओं ने बकायदा मंत्री जगत सिंह नेगी का रास्ता रोककर जोरदार प्रदर्शन
किया।
इस प्रदर्शन में जहां एक ओर मंत्री की गाड़ी पर जूता फेंका गया, वहीं कई महिलाओं ने उनके वाहन के सामने लेटकर रास्ता रोक दिया। काफिले को काले झंडे दिखाए गए और विरोध के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। सत्ताधारी कांग्रेस सरकार इस विरोध को भाजपा की "साजिश" करार दे रही है, जबकि भाजपा इसे "जनता की आवाज़" बता रही है।
मामले की शुरुआत: आपदा के बाद लिया गया फैसला, उठा विरोध
2023 और 2025 में
थुनाग क्षेत्र लगातार प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में रहा है। इस दौरान औद्यानिकी
एवं वानिकी कॉलेज की इमारत को भी क्षति पहुंची,
जिससे छात्रों की जान जोखिम में आ गई।
छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने कॉलेज को अस्थायी तौर पर नाचन के गड़ाहरी स्थित अटल आदर्श विद्यालय में शिफ्ट करने का फैसला लिया। इस पर कार्मिक विभाग ने बाकायदा अधिसूचना भी जारी की।
मगर इसी अधिसूचना ने थुनाग क्षेत्र में
बवाल मचा दिया।
जबरदस्त प्रदर्शन, मंत्री की गाड़ी के आगे लेटीं महिलाएं
जब आपदा राहत के निरीक्षण के लिए मंत्री जगत सिंह नेगी
थुनाग पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनका
जोरदार घेराव कर दिया। विरोध में महिलाएं सड़क पर लेट गईं, मंत्री के वाहन पर
जूते और काले झंडे फेंके गए। ये घटनाएं मंडी डीसी अपूर्व देवगन और एसपी
साक्षी वर्मा की मौजूदगी में हुईं, लेकिन बावजूद इसके
स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।
ग्रामीणों ने न केवल मंत्री का काफिला
रोका, बल्कि पूरे प्रशासन को घेरकर अपनी नाराजगी जताई। पुलिस बल के
मौजूद होने के बावजूद प्रदर्शनकारियों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा था।
भाजपा का आरोप: यह थुनाग के लोगों के साथ अन्याय, अधिसूचना रद्द करो
भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं
ने इस पूरे प्रकरण को सराज विधानसभा क्षेत्र के साथ साजिश बताया। उनका कहना है
कि कॉलेज को शिफ्ट करने का निर्णय थुनाग की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को कमजोर
करने की रणनीति है।
भाजपा नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि
सरकार अधिसूचना वापस नहीं लेती,
तो वह न्यायालय का रुख करेंगे।
मंत्री नेगी का पलटवार: यह भाजपा की सोची-समझी साजिश है
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री जगत सिंह नेगी
ने पत्रकारों से कहा कि यह पूरा
प्रदर्शन एक “राजनीतिक ड्रामा”
था। उन्होंने कहा:
"यह गांववालों का विरोध नहीं था,
बल्कि भाजपा की सोची-समझी साजिश थी। कुछ
दुकानदार और भाजपा कार्यकर्ता नहीं चाहते कि कॉलेज शिफ्ट हो, जबकि छात्रों की
सुरक्षा प्राथमिकता है।"
उन्होंने यह भी बताया कि थुनाग में
पूर्व भाजपा सरकार ने न तो हॉस्टल निर्माण पर काम किया और न ही कोई आपदा योजना
लागू की। अब जब सरकार छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है, तो विपक्ष इसे
राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है।
प्रशासन की कोशिशें और मंत्री की रवानगी
प्रदर्शन के बीच डीसी अपूर्व देवगन
और एसपी साक्षी वर्मा ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, लेकिन विरोध प्रदर्शन
बढ़ता गया। काफी मशक्कत के बाद मंत्री का काफिला चैलचौक की ओर रवाना हो पाया।
राजनीति
या जनभावना?
यह सवाल अब मंडी और पूरे हिमाचल में तैर
रहा है कि क्या थुनाग में हुआ विरोध वास्तव में जनता की पीड़ा है या भाजपा की
राजनीतिक रणनीति?
जहां एक तरफ कांग्रेस सरकार इसे
साजिश बता रही है, वहीं भाजपा इसे
सराज क्षेत्र की आवाज़ करार दे रही है।
विपक्ष का दबाव और आगामी रणनीति
भाजपा नेताओं ने स्पष्ट कहा है कि अगर
सरकार ने अधिसूचना वापस नहीं ली, तो वे:
- हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे
- आंदोलन को और व्यापक बनाएंगे
- प्रदेश भर में सरकार की "जनविरोधी नीति" का
पर्दाफाश करेंगे
जनता
के बीच भ्रम या हकीकत?
सराज क्षेत्र के कॉलेज शिफ्टिंग को लेकर
उठी यह आग हिमाचल की राजनीति में एक नया मोड़ बन सकती है।
सरकार को एक तरफ छात्रों की सुरक्षा
देखनी है, दूसरी तरफ जनभावनाओं का सम्मान भी करना है।
इस विरोध की आग क्या सिर्फ थुनाग तक
सीमित रहेगी या यह सरकार की छवि पर असर डालेगी —
यह आने वाला समय तय करेगा।
आपकी राय क्या है?
क्या कॉलेज को शिफ्ट करना वाकई सुरक्षा
के लिहाज से जरूरी था? या यह सराज के साथ राजनीतिक भेदभाव है?
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